उत्तराखंड इस साल नहीं होंगे कर्मचारियों के तबादले, शासन घोषित किया शून्य सत्र
उत्तराखंड में इस वर्ष तबादले नहीं किए जाएंगे। सरकार ने वार्षिक तबादला सत्र को शून्य घोषित कर दिया है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 20 May 2020 10:09 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में इस वर्ष तबादले नहीं किए जाएंगे। सरकार ने वार्षिक तबादला सत्र को शून्य घोषित कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने यह भी व्यवस्था की है कि तबादला नियम के अंतर्गत आने वाले किसी भी कर्मचारी या विभाग को किसी प्रकार की परेशानी होती है, तो फिर वह कार्मिक विभाग के माध्यम से प्रस्ताव विचार-विमर्श के लिए तबादला समिति के सामने रख सकता है।
प्रदेश में तबादलों के लिए प्रक्रिया हर साल मार्च में शुरू हो जाती है। नियमानुसार 31 मार्च तक विभागीय स्तर पर कार्मिकों का चिह्नीकरण करना होता है। एक अप्रैल को शासन, विभाग, मंडल और जिला स्तर पर तबादला समितियों का गठन हो जाता है। 15 अप्रैल तक प्रत्येक संवर्ग के सुगम-दुर्गम क्षेत्र के कार्यस्थल, पात्र कर्मचारियों व उपलब्ध और संभावित रिक्तियों की सूची वेबसाइट पर डाल दी जाती है। 20 अप्रैल तक अनिवार्य तबादलों के लिए पात्र कार्मिकों से विकल्प ले लिए जाते हैं। अनुरोध के आधार पर तबादलों के लिए आवेदन को 30 अप्रैल तक की तिथि तय है। सभी आवेदन पत्र 15 मई तक जमा हो जाते हैं।
25 मई से पांच जून तक तबादला समिति की बैठक होती है और 10 जून तक तबादला आदेश जारी हो जाते हैं। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण यह तबादला प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई थी। ऐसे में कार्मिक विभाग की ओर से प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री कार्यालय भेजा गया। मुख्यमंत्री कार्यालय की अनुमति मिलने के बाद अब शासन ने इस पर आदेश जारी कर दिए हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है कि कोरोना के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में इसबार तबादलों का शून्य सत्र होने की संभावना प्रबल, जानिए वजहकोरोना के कारण कार्मिकों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रा आदि किए जाने पर संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहेगी। इसे देखते हुए वर्ष 2020-21 का वार्षिक तबादला सत्र शून्य घोषित किया जाता है। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि किसी को इसमें कोई कठिनाई होती है तो फिर वे औचित्यपूर्ण प्रस्ताव तबादला समिति के सामने रख सकता है ताकि इसका निराकरण किया जा सके।
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